लेडी सिंघम के नाम से मशहूर इस महिला IPS के संघर्ष और सफलता की कहानी, यहाँ पढ़ें

Motivational Story Of Preeti-Chandra : देश में अलग -अलग क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करने वाले व्यक्ति को एक पहचान के तौर पर जाना जाता है। लेकिन सरकार में अधिकारी अपनी कलम और अधिकारों की ताकत से भी जाना जाता है। पुलिस सेवा में अधिकारी बहुत बनते हैं, मगर जनता के बीच पहचान बहुत ही कम बना पाते हैं। आज हम ऐसी ही एक महिला आईपीएस अधिकारी की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी लेडी सिंघम के नाम से पहचान ही नहीं बनाई बल्कि अपराधियों के खिलाफ सख्ती के लिए मिशाल भी बन गई हैं।
हम बात कर रहे हैं सीकर जिले के कुंदन गांव में जन्मी प्रीति चन्द्रा की, जिनका जन्म 1979 में हुआ। वर्तमान में करौली जिले की पुलिस अधीक्षक है। राज्य सरकार ने 2008 बैच की आईपीएस चन्द्रा को जयपुर मेट्रो कॉर्पोरेशन के पुलिस उपायुक्त के पद से यहां लगाया है। चन्द्रा ने पत्रकार से लेकर आईपीएस तक सफर तय किया है। उन्होंने एमए एमफिल तक शिक्षा पूरी की है। वह अलवर में एएसपी, बूंदी में एसपी व कोटा एसीबी में एसपी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहीं। उन्होंने बूंदी में देह व्यापार में बच्चियों को धकेलने वाले गिरोह का खुलासा कर आरोपियों को सलाखों तक पहुंचाया है जिससे उन्हें लेडी सिंघम के नाम से भी जाना जाता है।
पत्रकार से लेकर IPS तक का सफर (How To Get Success In UPSC Exam)
आईपीएस प्रीति चंद्रा के अनुसार कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है। सभी काम एक जैसे हैं। किसी भी काम को करते समय यही सोचना चाहिए कि आपसे अच्छा कोई भी नहीं कर सकता। अपने काम में बेस्ट दिन चाहिए। यह बात युवा समझ जाएंगे तो देश की सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। उनका कहना है कि उन्होंने जहां काम किया, अपना 100 प्रतिशत दिया। चंद्रा ने पत्रकार से लेकर आईपीएस तक का सफर तय किया है।
प्रीति चंद्र ने बताया कि उनकी मां ने तो कभी हाथ में पेंसिल तकनहीं पकड़ी थी। हम दो बहनों और एक भाई को पढ़ाने के लिए जिद रख ली। प्रीति जब कॉलेज में आई तो रिलेटिव ने उन पर शादी का दबाव डालना शुरू किया। लेकिन मां ने प्रीति का साथ दिया और रिलेटिव को साफ़ इंकार करती रही। दोनों बहनों ने इंटर कास्ट मैरिज की लेकिन वो माँ हमेशा सपोर्ट में खड़ी रहीं।
चैलेंजिंग कॅरिअर में सपोर्ट सिस्टम न हो तो चुनौतियां बढ़ जाती हैं। पति विकास पाठक के अलावा मेरे गांव की एक 22 साल की लड़की मेरा सपोर्ट सिस्टम है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से गांव में वो पढ़ नहीं सकती थी। इसलिए मैंने उसकी पढ़ाई से लेकर शादी का जिम्मा उठाया है। वो मेरी बड़ी बेटी की तरह है और जब मुझे कई दिन तक टूर पर जाना पड़ता है तो वो मेरे घर और बेटी का ध्यान रखती है। मैं भी अपनी बेटी को सिर्फ आजादी देना चाहती हूं जिससे वो बिना सरहदों के आसमां में पंख फैला सके।
डकैतों को पहुंचाया जेल
आईपीएस प्रीति चंद्रा की टीम चंबल के बीहड़ों में उतर जाती हैं। अब तक दस हजार रुपए के ईमानी डकैत हरिया गुर्जर, रामलखन गैंग के श्रीनिवास, डकैतों को शरण देने व उन तक पुलिस की सूचनाएं पहुंचाने वाले श्रीराम गुर्जर, कला आदि डकैतों को पकड़ चुकी है। अब तक 7 से ज्यादा दस्यु और डकैतों को गिरफ्तार कर चुकी हैं।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2IcER3B
Salute medam
ReplyDelete