NCERT ने सिलेबस से हटाई चार्ल्स डार्विन की इवोल्यूशन थ्योरी, 1800 वैज्ञानिकों, शिक्षकों ने की निंदा

NCERT removes Darwin's evolution theory: एनसीईआरटी (NCERT) ने कक्षा 9 और 10वीं क्लास के इतिहास और विज्ञान सब्जेक्ट के कुछ हिस्से हटाने का फैसला किया है। एनसीईआरटी (NCERT)ने मुगल और इस्लामिक इतिहास से जुड़े कई चैप्टर हटाने के बाद एक और बड़ा फैसला लेते हुए सिलेबस से चार्ल्स डार्विन की इवोल्यूशन थ्योरी को हटाने का फैसला किया है। बता दे एनसीईआरटी (NCERT) की कक्षा 9 और 10 के छात्रों के लिए किताबों से इतिहास और विज्ञान के कुछ हिस्से हटाने का फैसला किया है। एनसीईआरटी की कक्षा 9 एवं 10 की विज्ञान की किताबों से वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन के विकासवादी सिद्धांत को हटा देने से अब स्टूडेंट्स इसे नहीं पढ़ सकेंगें। एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यक्रम से इवोल्यूशन थ्योरी हटाए जाने के बाद इसका विरोध भी किया जाने लगा है। जिसके बाद से भारत भर के 1,800 से भी ज्यादा साइंटिस्ट्स, टीचरों की ओर से नाराजगी जताई गयी है।
NCERT ने क्या दिया है तर्क
एनसीईआरटी की ओर से छात्रों के लिए स्कूली पाठ्यक्रम को आसान बनाने और स्टूडेंट से प्रेशर कम करने की बात कही गयी है। जैसे पहले मुगलों से जुड़े कई प्रसंग हटाए गए थे। वहीं अब विज्ञान की किताबों से आनुवंशिकता और विकास सिद्धांत को हटा दिया गया है। वैज्ञानिक समुदाय का मानना है कि डार्विन के विकास के सिद्धांत को कोर्स से हटाना शिक्षा का उपहास करना है।
क्या है थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन ?
इस सिद्धांत के अनुसार डार्विन ने निष्कर्ष निकाला कि पृथ्वी पर मौजूद प्रजातियां मुख्यतः एक ही प्रजाति से उत्पन्न हुई हैं । डार्विन के अनुसार ये प्रजातियां परिस्थिति के अनुसार जैसे अपने को ढालती हैं वैसे जैव विविधता को जन्म देते हैं। चार्ल्स डार्विन के इस सिद्धांत को अब एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला लिया है।
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वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों ने लिखा पत्र
एक ओपन लेटर जारी करते हुए देश के करीब 1800 वैज्ञानिकों,शिक्षाविदों ने एनसीईआरटी के फैसले पर सवाल उठाए हैं। NCERT के इस फैसले को लेकर ब्रेकथ्रू साइंस सोसायटी ने एक प्रेस स्टेटमेंट भी जारी किया है। भारतीय विज्ञान संस्थान, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे बड़े वैज्ञानिक संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर कर इस फैसले की कड़ी निंदा की है। इसके अलावा NCERT से यह फैसला वापस लेने की मांग की है।
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