IISc के प्रमुख प्रोफेसर को दी अनिवार्य सेवानिवृत्ति

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के प्रोफेसर गिरिधर मद्रास को यौन शोषण के आरोप में अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेने को कहा गया है। इसके साथ ही प्रोफेसर गिरिधर का प्रोफाइल संस्थान की वेबसाइट से भी हटा दिया गया है। आइआइएससी के निदेशक प्रोफेसर अनुराग कुमार ने कहा कि 'पिछले 20 वर्ष से संस्थान में सेवारत प्रो.गिरिधर मद्रास को तुरंत संस्थान छोडऩे के लिए कहा गया है। IISc की शासी परिषद ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।' IISc के रासायनिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर गिरिधर विश्व के चुनिंदा एक फीसदी शीर्ष वैज्ञानिकों में से एक हैं। उन्हें 10 हजार से अधिक प्रशंसा पत्र और कई अहम पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड, युवा वैज्ञानिक अवार्ड, जेसी बोस राष्ट्रीय छात्रवृत्ति, IISc अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन रिसर्च आदि शामिल हैं।

दरअसल, शासी परिषद के निर्णय से पहले संस्थान की आंतरिक शिकायत समिति ने उन पर लगे आरोपों और शिकायतों की जांच की। यह आरोप पीएचडी की एक छात्रा ने लगाया था। उनके खिलाफ छात्रा से अश्लील बातें करने और देर रात तक बार-बार फोन करने की शिकायत थी। पिछले सप्ताह ही शासी परिषद की ओर से कहा गया कि प्रोफेसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई जल्द ही नतीजे पर पहुंच जाएगी। आंतरिक जांच समिति की जांच में दोषी पाए जाने के बाद उनके खिलाफ केंद्र सरकार के नियमों के तहत कार्रवाई की गई है। संस्थान ने कहा है कि यौन शोषण से जुड़े मामलों को देखने के लिए एक अलग व्यवस्था की गई है। इससे जुड़े किसी भी मामले को किसी भी स्वरूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बाद प्रोफेसर गिरिधर को सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाले लाभ से वंचित किया जाएगा या नहीं इस बारे में कुछ नहीं बताया है।

प्रोफेसर गिरिधर ने वर्ष 1988 में अन्नामलाई विश्वविद्यालय से रासायनिक इंजीनियरिंग में बीई की उपाधि हासिल करने के बाद आइआइटी मद्रास से एमटेक किया और टेक्सस विश्वविद्यालय से पीएचडी (1993) की उपाधि प्राप्त की।



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