Motivation Story : नौ साल की उम्र से गरीब बच्चों को पढ़ा रहे बाबर अली
पश्चिम बंगाल के एक छोटे से शहर में स्कूल जाते समय अपनी ही उम्र के बच्चों को कूड़ा-करकट बीनते देख नौ वर्षीय बाबर अली के मन में उनके लिए कुछ करने का विचार आया। बाबर इस बात से दुखी था कि उनके ये मित्र गरीबी के कारण स्कूल नहीं जाते थे और पढ़ाई से महरूम थे। इसलिए उसने अपनी पढ़ाई का कुछ हिस्सा उनके साथ साझा करने का फैसला लिया। मतलब, बाबर अली ने खुद उन गरीब बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया। कोलकाता से 200 किलोमीटर दूर मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा शहर के एक सरकारी स्कूल में पांचवीं कक्षा का छात्र बाबर अली ने अपने घर के पीछे के आंगन में गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। उस समय उनके बाल मन की एक ख्वाहिश थी कि भारत के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। गरीबों के लिए शिक्षा का अलख जगाने वाले इस खामोश समाज-सुधारक ने पिछले डेढ़ दशक में सैकड़ों गरीब बच्चों को अपने प्रयासों से शिक्षित किया है। बाबर अब 25 साल के हो चुके हैं। दुनिया का सबसे कम उम्र का प्रधानाध्यापक बाबर ने दिए साक्षात्कार में कहा, मैं इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाया कि मेरे मित्र कूड़ा-करकट चुनें और मैं स्कूल जाऊं। इसलिए मैंने उनक...